November 22, 2024

भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

|| भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश ||               || भारत के 50वें  CJI बने D. Y. चंद्रचूड़  ||            || सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश कौन हैं ||  || भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बने D. Y. चंद्रचूड़ ||    

न्यायमूर्ति धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ ने भारत के 50 वे प्रधान न्यायाधीश (CJI ) के रूप में 09 Nov 2022 दिन बुधवार को शपथ ग्रहण किया। शपथ ग्रहण करते वक्त उन्होंने बोला हमारी पहली प्राथमिकता नागरिक होंगे।

भारत के 50 वे मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ । राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के उपरान्त मीडिया को सम्बोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश महोदय ने कहा कि हमारे द्वारा किये जा रहे कार्यों को हमारे लिए बोलने दें। कृपया कुछ समय प्रतीक्षा करें और देखें। तत्पश्चात न्यायकि सुधारों के विषय में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायलय रजिस्ट्री और तकनीकी स्तर सहित देश के नागरिकों को प्राथमिकता दी जाएगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण करते ही (CJI) चंद्रचूड़ ने अपनी मां के पैर छुए और आशीर्वाद प्राप्त किया।

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आइये जानते है CJI , D.Y. चंद्रचूड़ के विषय में कुछ और महत्वपूर्ण  तथ्य –

आपको बताते चलें की भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश CJI 10 नवम्बर 2024 तक अपना संभालेंगे। CJI न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का स्थान संभालेंगे। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित सोमवार को ही सेवानिवृत हुए थे। वैसे तो न्यायमूर्ति ललित 8 नवम्बर को सेवानिवृत होने वाले थे, लेकिन 8 नवम्बर को पड़ गया गुरु नानक जयंती इस वजह से सभी अदालते बंद थी। ऐसे में न्यायमूर्ति ललित ने 7 नवम्बर को ही कार्यालय छोड़ दिया।

न्यायमूर्ति D.Y. चंद्रचूड़ देश के सबसे लम्बे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायधीश के पुत्र हैं

आप लोगों को एक और विशेष जानकारी देते चलें कि देश के सबसे लम्बे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश, “न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु चंद्रचूड़” के पुत्र हैं  D.Y. चंद्रचूड़। भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाली पिता पुत्र की जोड़ी का यह पहला उदाहरण है। यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ 22 फ़रवरी 1978 को 16 वें CJI बने थे,और उनके सुपुत्र न्यायमूर्ति श्री D.Y. चंद्रचूड़ 44 साल 7 महीने और 17 दिनों के अंतराल पर CJI बने हैं ।
भारतीय इतिहास में एक शानदार पन्ना जोड़ने के लिए CJI DY चंद्रचूड़ जी को देश के कोने कोने से बधाई भेजी जा रही है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह तब और ख़ास हो जाती है जब आपके पिता ने सबसे लम्बे समय तक इस पद को सुशोभित किया हो। आपकी नजरों में आपका स्तर और भी बढ़ जाता है, साथ ही साथ आप दुनिया के लिए मिशाल बन जाते है।

अधिक जानें – https://en.wikipedia.org/wiki/Dhananjaya_Y._Chandrachud

आइये बात करें CJI DY चंद्रचूड़ की शिक्षा के विषय में –

DY चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवम्बर 1959 को हुआ था। सन 1979 में इन्होने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र और गणित में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की तत्पश्चात 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि संकाय से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से ऐसे समय में कानून की पढाई की थी जब कानून स्नातकों के लिए बहुत कम नौकरियां उपलब्ध थी।

भारत के 50 वे मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस डी वाई चंद्रचूर्ण

अपनी विलक्षण प्रतिभा से हर जगह हुए सम्मानित –

जस्टिस चंद्रचूड़ ने इनलॉक्स छात्रवृत्ति के लिए अहर्ता प्राप्त करने के बाद 1983 में हॉवर्ड विश्वविद्यालय से एल. एल. एम. की डिग्री प्राप्त की। उन्हें कनफ्लिक्ट ऑफ़ लॉज कोर्स में सर्वोच्च अंक हासिल करने के लिए  पुरस्कार भी मिला था। इन्होने ने हॉवर्ड से न्यायिक विज्ञान में डॉक्ट्रेट की पढाई पूरी की और 1997 में बार काउंसिल ऑफ़ महाराष्ट्र के साथ वकील के रूप मर दाखिला लिया। वे जून 1998 में 38 वर्ष की आयु में वरिष्ठ अधिवक्ता बने, जो बेहद दुर्लभ था, क्योकि आमतौर पर 40 वर्ष से अधिक आयु के अधिवक्ताओं को पदनाम दिया जाता था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को हर जगह मिली है पदोन्नति

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया जा चुका है। एक पद जो उन्होंने 29 मार्च 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायलय के न्यायधीश के रूप में अपनी पदोन्नति तक धारण किया। यह जस्टिस श्री चंद्रचूड़ के करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया। उन्होंने एक आपराधिक बेंच में जस्टिस रंजना देसाई के साथ काम करते हुए कानूनों और सामाजिक वास्तविकताओं पर उनके आवेदन के प्रति एक नारीवादी दृष्टिकोण विकसित किया। वे 31 अक्टूबर 2013 को इलाहबाद उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश बने और 13 मई 2016 को सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति तक इसी पद पर रहे।

विश्वास अटल हों तो रास्ते आसान लगने लगते हैं –

यदि संकल्प दृढ़ हो विश्वाश अटल हो तो रास्ते आसान लगने लगते हैं । हम हर वो चीज पा सकते है जो हम चाहते हैं  बस हमें उस चीज को हासिल करने के लिए दृढ़  इच्छाशक्ति और अटल विश्वास को जन्म देना होगा। कठिनाई बहुत आती है परन्तु यदि हम कठिनाइयों के सामने सीना तान कर खड़े हो जाएँ तो कठिनाइयां ऐसे रफ्फूचक्कर होती हैं जैसे उन्होंने हमारे जीवन में कभी दस्तक ही नहीं दी।

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                                                                                      लेखक – आशीष कुमार शुक्ल 

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