September 29, 2024

Employee Pension Scheme संशोधन 2014 को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

Employee Pension Scheme कर्मचारी पेंशन स्कीम ( EPS ) का विवाद मुख्य रूप से 1995 के अनुच्छेद 11 मे किये गए विवादस्पद संसोधनो से सम्बन्ध रखता है। आइये जानते है क्या है विवाद और कैसे मिली EPS स्कीम को मंजूरी।

कर्मचारी पेंशन स्कीम (Employee Pension Scheme) संशोधन योजना 2014 सुप्रीम कोर्ट से कानूनी रूप से वैध करार –

कर्मचारी पेंशन स्कीम (Employee Pension Scheme) संसोधन योजना 2014 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कानूनी रूप से वैध करार कर दिया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के द्वारा दायर एक अपील में केरल, राजस्थान,और दिल्ली के उच्च न्यायालयों के फैसलों को चुनौती दी गयी थी, इसमें 1995 की Employee Pension Scheme (EPS) के तहत 2014 में हुए पेंशन योग्य वेतन के निर्धारण के संसोधन को रद्द कर दिया गया था। इस संसोधन को पेश किये जाने से पहले हर वो कर्मचारी जो 16 Nov.1995 को कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 का सदस्य बना था, वो Employee Pension Scheme का लाभ उठा सकता था। 1995 के पहले हुए संसोधन में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन Rs.6500 रखा गया था। जिन सदस्यों का वेतन Rs. 6500 से अधिक था वे अपने नियोक्ताओं (Employer) के साथ-साथ अपने वास्तविक वेतन का 8.33 % का योगदान करने का विकल्प चुन सकते थे।

कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) संसोधन योजना 2014

EPS 2014 में हुए संसोधन जिसके पैराग्राफ 11(3) में बदलाव और एक नया पैराग्राफ 11(4) शामिल था, इस संसोधन ने Rs 6500 के कैप को बढ़ाकर Rs. 15000 कर दिया था। यदि हम बात करें पैराग्राफ 11 (4) की तो इसमें कहा गया है कि केवल वही कर्मचारी जो 1 सितम्बर 2014 को मौजूदा EPS सदस्य थे, वो अपने वास्तविक वेतन के अनुसार पेंशन फण्ड में योगदान करना जारी रख सकते है। इन सभी कर्मचारियों को नयी पेंशन व्यवस्था को चुनने के लिए छह महीने तक का समय प्रदान किया गया था।

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पैराग्राफ 11 (4) में उन सदस्यों के लिए एक अतिरिक्त दयित्व बनाया गया जिनका वेतन Rs. 15000 की सीमा से अधिक था। उनको सभी कर्मचारियों को अपने वेतन का 1.16 % की दर से योगदान करना था। पेंशन योग्य वेतन कर्मचारी के EPS से बाहर निकलने की तारिख से पहले 12 महीने का औसत वेतन था। संसोधनो की वजह से पेंशन योग्य वेतन की गणना अवधी को 12 महीने से बढ़ाकर 60 महीने कर दिया गया। अदालत ने कहा हमें पेंशन योग्य वेतन की गणना के लिए आधार बदलने में कोई कमी नहीं दिखती है।

अदालत के पास संविधान के अनुच्छेद 142 जैसे ब्रह्मास्त्र का उपयोग करके 1 सितम्बर 2014 वाली कटऑफ तिथि को हटा दिया। संसोधन योजना के बारे में अनिश्चितताओं के चलते इसे हाल ही में तीन उच्च न्यायालयों द्वारा रद्द कर दिया गया था। इस प्रकार वो सभी कर्मचारी जिन्होंने संसोधित पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्पों का प्रयोग नहीं किया था, वो अब ऐसा करने के हकदार थे। अदालत के निर्देशानुसार अब इस विकल्प का प्रयोग करने का समय चार महीने तक बढ़ाया गया है।

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अगर बात करें आर सी गुप्ता मामले की तो इस संबंध में कोर्ट में कहा गया था कि EPS 1995 जैसी लाभकारी योजना को 1 सितंबर 2014 कट ऑफ तारीख के संदर्भ में पराजित नहीं होने दिया जाना चाहिए । न्यायमूर्ति बोस ने कहा कि निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952, के अनुसार, कर्मचारियों के द्वारा 1.16% की दर से योगदान करने की आवश्यकता इस हद तक है कि वेतन 15000 प्रति माह से अधिक होना चाहिए, क्योंकि संशोधन योजना के तहत किए गए अतिरिक्त योगदान कर्मचारी भविष्य के प्रावधानों के लिए आधिकारिक माना जाता है ।

अदालत ने हालांकि इस हिस्से के कार्यान्वयन को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है। साथ ही कहा गया की “हम अपने आदेश के इस हिस्से के संचालक को छह महीने के लिए निलंबित करते है ।

हम ऐसा अधिकारियों को योजना समायोजन करने में सक्षम बनाने के लिए करते है ताकि अधिनियम के दायरे में अन्य वैध स्त्रोतों से अतिरिक्त योगदान उत्पन्न किया जा सके, जिसमे शामिल होने से नियोक्ताओं के योगदान को दर में वृद्धि होगी ।

निर्णय में यह भी बोला गया कि इस बारे में अटकलें नही लगाना चाहते कि अधिकारी अतिरिक्त योगदान के लिए धन कैसे प्राप्त करेंगे साथ ही यह भी कहा कि आवश्यक संशोधन करने के लिए विधायिका और योजना निर्माताओं पर छोड़ देना चाहिए ।

अदालत ने यह भी कहा कि जो कर्मचारी बिना किसी विकल्प का प्रयोग किए 1 सितंबर 2014 से पहले सेवानिवृत ही गए है वो इस फैसले का लाभ पाने के अधिकारी नही होंगे ।

            OFFICIAL WEBSITE-  https://www.epfindia.gov.in/site_en/index.php

न्यायमूर्ति बोस ने अपने फैसले में कहा कि जो भी कर्मचारी 1995 की योजना के 11(3) के तहत पेंशन योजना विकल्प का प्रयोग करने पर 1 सितंबर 2014 से पहले सेवानिवृत हुए थे, उन्हे अनुच्छेद 11(3) के प्रावधानों के तहत कवर किया जाएगा जैसा कि 2014 के संशोधन से पहले था ।

                                                                             Written By – Ashish Kumar Shukla

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